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- बिन गुरू व्यावसायिक एवं इलेक्टिव विषय का पढाई, परीक्षा छात्र-छात्राओं के भविष्य के साथ खिलवाड़
- उच्च शिक्षा विभाग के लिए मजाक का विषय बना प्रदेश का युवा वर्ग: घर बैठे हो रहा है विद्यार्थियों का सतत् मूल्यांकन
- व्यावसायिक एवं इलेक्टिव विषय की ज्ञान और परीक्षा छात्र-छात्राओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ है
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- सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 का लगाम है डीपीडीपी एक्ट,2023
- योग्य छात्रों का नुकसान
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- व्यक्तिगत अनियमित्ता के चलते एट्रोसीटी एक्ट मे फंसाने के फेक सबूत गढ़े जा रहे
- 70 अंकों मूल्याकंन नही करना चाहते है बाहय परीक्षक ?
- योगी आदित्यनाथ बनाम अखिलेश यादव
- प्रयोगषाला एवं वास्तविक विहीन प्रायोगिक परीक्षा
- यशवंत वर्मा के घर में जले या जले हुए नोटों के संबंध में माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति।
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70 अंकों मूल्याकंन नही करना चाहते है बाहय परीक्षक ?
- डॉ. देवेन्द्र प्रताप सिंह
किसी भी शैक्षणिक प्रणाली में सैद्वातिक एवं पायोगिक परीक्षाएं छात्रों के ज्ञान और कौशल का आकलन करने का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। परैक्टिकल परीक्षाएं, विशेष रूप से विज्ञान और तकनीकी विषयों में, छात्रों की व्यावहारिक क्षमताओं का मूल्यांकन करने के लिए आयोजित की जाती हैं। इन परीक्षाओं की निष्पक्षता और विश्वसनीयता बनाए रखना अत्यंत महत्वपूर्ण है। कुछ मामलों में, बाहरी परीक्षकों द्वारा प्रायोगिक परीक्षाओं में धोखाधड़ी के मामले सामने आए हैं, जो पूरी परीक्षा प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर सवाल उठा रहे है। बाहरी परीक्षक, जिन्हें किसी अन्य संस्थान से निष्पक्ष मूल्यांकन के लिए आमंत्रित किया जाता है, परीक्षाओं की शुचिता बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे छात्रों का निष्पक्ष मूल्यांकन करने और यह सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार होते हैं कि परीक्षा मानकों के अनुसार आयोजित की जा रही है। कुछ स्वार्थी बाहय परीक्षक, षिक्षक, डायरेक्टर आदि द्वारा धोखाधड़ी के कई तरीके अपनाए जा रहे है।
कुछ कालेज बाहय परीक्षको के नाम पर परैक्टिकल षुल्क लेकर अधिकतम अंक देने के लिये अवैध शुल्क वसूल करते है ? जबकि बाहय परीक्षको पैसा देना तो दूर यदा कदा चाय बिसकिट करा देते है। बाहय परीक्षक किसी विशेष महाविद्यालयो के प्रति पक्षपातपूर्ण होते जा रहे है। इसका एक कारण षायद अनुचित लाभ हो सकता है या भाई-भतीजावाद या अन्य व्यक्तिगत संबंधों के कारण हो सकता है।
बाहय परीक्षकों में नैतिक मूल्यों की कमी होती जा रही है इसका कारण है कि स्वय के कालेज मे ही प्रायोगिक कार्य और नियम विरूद्व परीक्षा कराना। इसका कारण है प्रयोगषाला विहिन कालेजो को नियम विरूद्व दिये गये संबद्वता वाले कालेज मे परीक्षा कराना। फलस्वरूप अपने बचाव मे जो भी लिफाफा मिल जावे स्वीकार करने लगते है? और मान्यता और संबद्वता देने वाले विभाग और विष्वविद्यालय को बचाने के लिये व्यक्तिगत लाभ के लिए परीक्षा की पवित्रता को भंग कर दिया गया है। बाहय परीक्षकों का चयन मे चेयरमैन अनुभव के बदले अनियमित्ता करने वालो को प्राथमिकता देते है। अनियमित्ता का यहर आषय प्रायोगिक परीक्षा को सैद्वातिक रूप मे कराना से है। फलरूवरूप योग्य बाहय परीक्षक कालेज तक पहुॅच ही नही पाते। बाहय परीक्षक पैनल के नाम पर जो अवैधनिक कार्य किये जाते है किसी से छिपा नही है। सत्यनिष्ठा और अनुभव को प्राथमिकता के साथ ही बाहरी परीक्षकों को भूमिका, जिम्मेदारियों और नैतिक आचरण का अभव देखने को मिल रहा है…