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- योग्य छात्रों का नुकसान
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- यशवंत वर्मा के घर में जले या जले हुए नोटों के संबंध में माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति।
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योग्य छात्रों का नुकसान |
मेडिकल कॉलेज प्रवेश के नाम पर धोखाधड़ी कब तक
- डॉ. देवेन्द्र प्रताप सिंह
मेडिकल कॉलेजों की मंहगी षिक्षा और पदों की संख्या के कारण में एमबीबीएस और एम.एस.,ए..डी. मे प्रवेष के लिये अत्यधिक प्रतिस्पर्धा है। प्रत्येक षैक्षणिक सत्र मे लाखों छात्र मेडिकल कॉलेजों में सीट हासिल करने की उम्मीद में राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा देते हैं। ज्यादतर मेडिकल कालेज व्यवसायिक घराने या उधोेगपति या एैसे लोगो के द्वारा संचालित किया जा रहा है जिनका मकषद केवल पैसा कमाना रह गया है साथ ही ब्लैकमनी को हवाइट करना। जैस कि बिना षिक्षक कालेज चलाना और वेतन बचाकर या वेतन वापस लेकर धन बनाना। मेडिकल कॉलेजों में प्रवेष के लिये कड़ी प्रतियोगिता मे कई बार असफल हाने के बाद लोग दलालों, ऐजेटों के चक्कर मेे पड़ कर कैसे भी प्रवेष लेने का प्रयास करते है जिसका फायदा कभी कभी मिलता भी है इसी का फायदा उठाते है अवैध दलाल, ऐजेंट या फर्जी प्रवष्ेा दिलाने वाला गिरोह। कुछ बेईमान व्यक्ति और शासी निकाय अनुचित साधनों से छात्रों को प्रवेश दिलाने का वादा करके धोखाधड़ी की गतिविधियों में शामिल हो जाते हैं। मेडिकल कॉलेज प्रवेश में कालेजो द्वारा कई तरह की धोखाधड़ी की जाती है। कुछ कालेजो या उनके एजेंट नीट में कम अंक प्राप्त करने वाले छात्रों से संपर्क करते हैं और उन्हें सीधे प्रवेश दिलाने का झूठा वादा करते हैं। वे छात्रों और उनके माता पिता से मोटी रकम वसूलते हैं और बाद में प्रवेश दिलाने में विफल रहते है। कुछ मेडिकल कॉलेज डोनेशन या विकास शुल्क के नाम पर छात्रों से अत्यधिक पैसे की मांग करते है। जबकि विकास शुल्क की कोई आवश्यकता नही होती है। विकास शुल्क एक तरह की जबरन वसूली है और पारदर्शिता की कमी को दर्शाता है। धोखाधड़ी करने वाले शासी निकाय फर्जी प्रवेश पत्र, आवंटन पत्र या अन्य संबंधित दस्तावेज तैयार करके छात्रों को धोखा देते हैं। ये दस्तावेज देखने में असली लगते है, लेकिन कॉलेज के रिकॉर्ड में इनका कोई अस्तित्व नहीं होता है। कुछ मामलों में, कालेज असली छात्रों की सीटों को उन छात्रों को आवंटित कर देते हैं जिन्होंने इसके लिए भारी रकम चुकाई है। कुछ कालेज छात्रों को परीक्षा में अनुचित साधनों का उपयोग करने में मदद करते हैं, जैसे कि प्रष्न लीक करना या डमी उम्मीदवार बैठाना। जिससे पूरी प्रवेश प्रक्रिया की निष्पक्षता को खतरे में पड़ जाता है। कॉलेज प्रशासन जानबूझकर कॉलेज की सुविधाओं, शिक्षकों या संबद्ध अस्पतालों के बारे में अधूरी या गलत जानकारी देकर छात्रों को गुमराह करते हैं। प्रवेश के बाद छात्रों को वास्तविकता का पता चलता है, जिससे वे ठगा हुआ महसूस करते हैं। इंटरनेट और सोशल मीडिया के बढ़ते उपयोग के साथ, धोखाधड़ी करने वाले अब ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का उपयोग करके छात्रों को निशाना बना रहे हैं।
प्रवेष मे धोखाधड़ी के कारण योग्य और मेहनती छात्र मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश पाने से वंचित रह जाते हैं, जबकि कम योग्य लेकिन धनी छात्र अनुचित साधनों से सीटें हासिल कर लेते हैं। जब अयोग्य छात्र मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश कर लेते है उसके बाद वे लोग चिकित्सा शिक्षा की गुणवत्ता को प्रभावित करते है। ऐसे डॉक्टर समाज के लिए खतरनाक साबित हो रहे है। धोखाधड़ी के शिकार छात्रों और उनके परिवारों को भारी वित्तीय नुकसान होता है। दलालो या भ्रामक विज्ञापन के आधार पर प्रवेश लेकर लाखों रुपये गंवा देते हैं और उन्हें कोई सीट भी नहीं मिलती। प्रवेश न मिलने पर छात्रों को मानसिक आघात का सामना करना पड़ता है। धोखाधड़ी का शिकार होने पर यह और भी बढ़ जाता प्रवेष के नाम पर ठगे गए छात्र और उनके परिवार विरोध प्रदर्शन इस लिये नही करते है कि उनके द्वारा दिया गया पैसा भी सोत्र नही होता जिसके पास होता है वही षिकायत करता है। कम से कम एैसे छात्रों और उनके माता-पिता को प्रवेश प्रक्रिया, फर्जी वादों और धोखाधड़ी के सामान्य तरीकों के बारे में जागरूक करना चाहिये जो इसका ष्किार हुये है जैसे कि व्यापम, नर्सिग आदि। प्रवेश प्रक्रिया के दौरान लोग सभी नियमों, प्रक्रियाओ, शुल्क संरचना और सीटों के आवंटन के मानदंडों को नजरअंदाज कर प्रवेष के लिये किसी भी कगज पर हस्ताक्षर करने के साथ ही गलत षपथ पत्र भी देते जबकि प्रवेष हो ना हो लेकिन पूर्ण नियम भी पढना चाहिये। केंद्रीकृत प्रवेश परीक्षाओं के कारण भी बढा है। अलग अलग राज्य की ऐंजेसी होने से फर्जीवाडी की सम्भवना कम होती है और जल्दी पकड़ जाते है। छात्रों और उनके माता-पिता के लिए कोई प्रभावी शिकायत निवारण तंत्र स्थापित नही किया जाना भी संदेह को जन्म देतो है। प्राप्त शिकायतों की समयबद्ध और निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। मेडिकल कॉलेजों का नियमित निरीक्षण और ऑडिट किया जाना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे प्रवेश नियमों और प्रक्रियाओं का पालन कर रहे हैं। लेकिन नही किया जाता है। बिना षिक्षको के नियुक्ति देकर भी घोखाधड़ी किया जाता है। पिछले सालएक मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में परीक्षा में गड़बड़ी की जांच के दौरान ईडी ने पूर्व प्रिंसिपल की रिष्तेदार के घर से 200 से अधिक आंसर शीट बरामद कीं। यह मामला पैसे लेकर परीक्षा में पास कराने से जुड़ा था। नेरुल पुलिस ने मेडिकल कॉलेज में प्रवेश के नाम पर दो पीड़ितों से 77 लाख रुपये से अधिक की ठगी करने वाले छह लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया। आरोपियों ने कॉलेज के फर्जी लेटरहेड का इस्तेमाल करके नकली प्रवेश पत्र जारी किए थे। फरवरी,2025 में, प्रवर्तन निदेशालय ने एक मेडिकल कॉलेज में प्रवेश के नाम पर ठगी करने वाले गिरोह से जुड़े 6 पीड़ितों को 89.75 लाख रुपये वापस दिलाए। आरोपियों ने नीट लागू होने के बाद भी एमबीबीएस, पीजी कोर्स में प्रवेश दिलाने का वादा करके छात्रों से पैसे वसूले थे। अप्रैल 2025 में, रायपुर में निजी मेडिकल कॉलेजों द्वारा नीट का बड़ा मामाला बिहार मे भी आया था। प्रवेश के बिना सीधे 60 से 85 लाख रुपये में प्रवेश का झांसा देने के मामले सामने आए। जिससे स्पट है कि मेडिकल कॉलेज प्रवेश में धोखाधड़ी एक गंभीर समस्या बनी हुई है और इससे निपटने के लिए तत्काल और प्रभावी उपायों की आवश्यकता है। मेडिकल कॉलेज प्रवेश में की जाने वाली धोखाधड़ी …