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आधुनिक राजनीति का स्वर्ग है श्वेत पोश अपराध |

- डॉ. देवेन्द्र प्रताप सिंह

किसी भी देश की आधुनिक राजनीति, सिद्धांतों और ऊँचे आदर्शों दावों का माखौल उड़ाते हुए के श्वेत पोश अपराध के लिए एक उपजाऊ भूमि साबित हो रही है। यह एक विडंबना है कि जिन संस्थानों को ईमानदारी, पारदर्शिता और कानून के शासन को बनाए रखने के लिए तैयार किया गया है, वे अक्सर ऐसे व्यक्तियों द्वारा हेरफेर किए जाते हैं जो अपने व्यक्तिगत लाभ एवं पद के लिए राजनीतिक शक्ति और प्रभाव का दुरुपयोग करते हैं। श्वेत पोश अपराध की विशेषता यह है कि यह अक्सर धोखे, विश्वासघात और सत्ता के दुरुपयोग पर आधारित होता है। राजनीतिज्ञ और शासकीय सेवक महत्वपूर्ण पदेन शक्ति और प्रभाव रखते हैं। वे कानूनों को बना सकते हैं, नीतियों को लागू कर सकते हैं, और सार्वजनिक संसाधनों का आवंटन कर सकते हैं। यह शक्ति भ्रष्ट आचरण के लिए प्रलोभन पैदा करती है, खासकर जब जवाबदेही और पारदर्शिता के तंत्र कमजोर एवं लोकतंत्र में नागरिकों के अधिकार पर कुठाराघात किया जा रहा हो। राजनीतिक में भारी मात्रा में धन शामिल होता है। चुनाव अभियानों के वित्तपोषण से लेकर सरकारी अनुबंधों और सब्सिडी, राजनीतिक लाभ के लिए योजनाये। इन वित्तीय लेन देन पर नियंत्रण भ्रष्ट व्यक्तियों के लिए व्यक्तिगत लाभ प्राप्त करने का अवसर प्रदान करते है।उच्च सामाजिक स्थिति और राजनीतिक सम्मान वाले व्यक्तियों द्वारा उनके व्यवसाय या पेशे के दौरान किए गए गैर वित्तीय एवं आपराधिक मामले को इंगित करता है। इनमें धोखाधड़ी, गबन, रिश्वतखोरी, अंदरूनी व्यापार, कर चोरी और अन्य जटिल योजनाएं शामिल  है। जटिल कानूनों एवं नियमों द्वारा अर्थव्यवस्था चलाये जाते है संचालित  है जो इन कानूनों एवं नियमों अधिनियम ,नियमों का उल्लंघन करने और कानूनी परिणामों से बचने के तरीका खोजने में माहिर हैं।

       नेता एवं शासकीय सेवक अपने आधिकारिक कार्यों के बदले में व्यक्तिगत लाभ, जैसे कि धन, उपहार या धन की मांग करते या स्वीकार करते हैं। यह सरकारी अनुबंधों को प्रदान करने से लेकर कानूनों को लागू करने तक कई तरह की स्थितियों है।यह गबन, धोखाधड़ी वाले अनुबंध या अनावश्यक परियोजनाओं के माध्यम से होता है जिनका उद्देश्य सार्वजनिक खजाने को लूटना है। चुनाव अभियानों के वित्तपोषण में पारदर्शिता की कमी और चुनावी कानूनों का उल्लंघन भ्रष्ट आचरण के अवसर पैदा करता है। इसमें अवैध दान स्वीकार करना, काले धन को सफेद करना या मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए सार्वजनिक धन का दुरुपयोग करना शामिल हो सकता है। राजनीतिक के अलावा आजकल कार्यपालिका को प्रदत्त शक्ति का उपयोग ऐसी नीतियों को आकार देने के लिए किया जाता है जो कुछ व्यक्तियों या निगमों को अनुचित लाभ प्रदान करती हैं। राजनीतिक प्रभाव का उपयोग सार्वजनिक भूमि या प्राकृतिक संसाधनों को निजी लाभ के लिए अवैध रूप से प्राप्त करने के लिए किया जा सकता है। सर्वविदित है कि भ्रष्टाचार सार्वजनिक धन को निजी हाथों में स्थानांतरित करता है, जिससे विकास परियोजनाओं के लिए धन की कमी हो जाती है और आर्थिक विकास बाधित होता है। यह असमानता को बढ़ाता है और गरीबी को कम करने के प्रयासों को कमजोर करता है। भ्रष्टाचार सार्वजनिक विश्वास को कम करता है और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को कमजोर करता है। जब नागरिक मानते हैं कि उनके नेता भ्रष्ट हैं, तो वे राजनीतिक व्यवस्था से मोहभंग हो सकते हैं और चुनावी प्रक्रिया में भाग लेने की संभावना कम हो सकती है। आजकल नोटा मे किये गये मतदान इसका उदाहरण है। भ्रष्टाचार संसाधनों के असमान वितरण और सार्वजनिक सेवाओं तक असमान पहुंच की ओर ले जाता है। राजनीति में श्वेत पोश अपराध से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए एक बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है। भ्रष्टाचार विरोधी कानूनों को मजबूत करना, नियामक एजेंसियों को अधिक स्वायत्तता और संसाधन प्रदान करना, और हितों के टकराव को रोकने के लिए मजबूत तंत्र स्थापित करना महत्वपूर्ण है। षासकीय कार्यव्यवहार में अधिक पारदर्शिता सुनिश्चित करना, सूचना तक सार्वजनिक पहुंच को बढ़ाना, और भ्रष्ट आचरण के लिए अधिकारियों को जवाबदेह ठहराने के लिए प्रभावी तंत्र स्थापित करना आवश्यक है। एक स्वतंत्र और निष्पक्ष मीडिया भ्रष्टाचार के मामलों को उजागर करने और सार्वजनिक जागरूकता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। सार्वजनिक जीवन में नैतिकता और ईमानदारी के महत्व पर जोर देने के लिए शिक्षा और जागरूकता कार्यक्रमों को बढ़ावा देना आवश्यक है। प्रौद्योगिकी का उपयोग सरकारी प्रक्रियाओं में पारदर्शिता और दक्षता बढ़ाने, और भ्रष्टाचार के अवसरों को कम करने के लिए किया जा सकता है।

       केवल भारत ही नही अपितु अन्य देषो में राजनीतिक भ्रष्टाचार एक गंभीर समस्या बनती जा रही है। विक्लििक्स इसके प्रमाण भी देता है। जिसके कई हाई प्रोफाइल मामले सामने आए हैं जो इस मुद्दे की गहराई को उजागर करते हैं। हीरा व्यापारी नीरव मोदी द्वारा कथित तौर पर किया गया एक बड़ा बैंकिंग घोटाला, जिसमें राजनीतिक सांठगांठ की भी जांच ….

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